Thursday, 21 February 2019

ट्राइबल की गंभीर समश्या !

देश की संसद कुछ  कायदा बनती है , संविधान कुछ हक़ देता है , सुप्रीम कोर्ट छीन लेता है यह आज कल विशेष रूप से देश के आदिवासी यानि ट्राइबल्स के साथ होतो हुवा दिखाई देता है।

देश में  कुल आबादी का ७ प्रतिशत ट्राइबल्स है माना जाता है जिसे हिंदी में हम आदिवासी कहते है। कुछ आदिवासी अपने आप को अवैदिक मानते है और कहते है उनके धर्म अलग है।  कुछ पढ़ेलिखे तो  वेद धर्मी रावण को भी आदिवासी मानते है और आज कल अपने बेटे बेटी के शादी ब्याह में वैदिक धर्मी ब्राह्मण बुलाकर वेद मंत्रोse शादी करते है , विशेष अवसर पर सत्य नारायण पूजा भी ब्रह्मिनो से करते है।  अभी तो वैदिक धर्मी ब्राह्मण भी अपने आप को आदिवासी है कहने लगे है।  जो आदिवासी हमारा धर्म अलग है कहते है और अपने आप को हिन्दू धर्मी नहीं मानते।

आदिवासी में भी कुछ अपने आप को असली आदिवासी कहते है और कुछ लोगो को नकली आदिवासी कहते है।

नेटिव रूल मूवमेंट सभी गैर ब्राह्मण यानि ९७ प्रतिशत हिंदुस्तानी लोगो को नेटिव यानि मूल भारतीय , हिन्दू , हिंदुस्तानी मानता है और केवल ३ प्रतिशत विदेशी वैदिक धर्मी ब्रह्मिनोको गैर हिन्दू , गैर भारतीय , गैर नेटिव मानता है।

हमारी नेटिव व्याख्या में  आदिवासी यानि ट्राइबल्स और शहरी निवासी गैर ब्राह्मण ये आते है जिन की कुल आबादी ९७ प्रतिशत हो जाती है।

हमारा मानना है वैदिक ब्राह्मण धर्म और हिन्दू धर्म ऐसे दो अलग अलग धर्म है।  आज वैदिक ब्रह्मिन धर्म का धर्म ग्रन्थ है वेद और कानून है मनुस्मृति और हिन्दू धर्म का धर्म ग्रन्थ है बीजक और कानून है हिन्दू कोड बिल।  हम हिन्दू धर्म में आज के जैन , बौद्ध , सिख , दूसरे गैर ब्राह्मण पंथ , संप्रदाय जैसे लिंगायत , शैवी, तांत्रिक , शिव धर्मी , आदिवासी के धर्म संप्रदाय और हिन्दू धर्म से धर्मान्तरित मुस्लिम , क्रिस्चियन ये भी मूल भारतीय यानि नेटिव होने के कारण हिन्दू है , नेटिव है यह हम मानते है।

हम इस देश में समस्या ही समश्या देखते है चाहे वे आदिवासी , वनवासी , ट्राइबल्स की ७ प्रतिशत आबादी हो या शहरी  मूल भारतीय ९० प्रतिशत आबादी।  इन सब को  ३ प्रतिशत विदेशी वैदिक ब्राह्मण धर्मी ब्राह्मण किसी न किसी प्रकार समस्या में उलझाए रखती है , संविधान बनता है , कुछ रहत मिलेगी सोचते है , कानून बनाते है , हक़ छीन लेते   है , यहाँ बचे तो कोर्ट कचेरी के माध्यमसे छीन लेते है।  आरक्षण , नौकरी , शिक्षा बाद अब आदिवासी अर्थात ७  प्रतिशत ट्राइबल्स की वन जमीन, घर छुन ने का आदेश देश के ब्रह्मिणवादी सुप्रीम कोर्ट ने कल जारी किया और करोड़ो आदिवासी ट्राइबल्स को जंगल से उनके जमीन से , घर से बेदखल करने का आदेश दिया।  इसका असर जो आदिवासी जगल से रोजी रोटी कमाते है , कास्तकारी करते है , हजारो साल से आदिवासी करके रहे है उन सभी शहरी और वन में रहने वाले ७ प्रतिशत आदिवासी पर तो पडेगाही  वे दाने , दाने को मुताज हो जायेगे !

जो हाल ट्राइबल्स यानि आदिवासी जा है , वही हाल ९० प्रतिशत दूसरे शहरी मूल भारतीय जा है यानि ३ प्रतिशत विदेशी वैदिक ब्राह्मण धर्मी ब्राह्मण हर एक षडयंत्र कर ९७ प्रतिशत नेटिव लोगो को मुसीबत ही मुसीबत पैदा कर रहा है पर लोग है की नेटिव रूल मूवमेंट से जुड़नेके के लिए तैयार नहीं।  हिन्दू वोही , जो ब्राह्मण नहीं कहना चाहिए पर  कहते नहीं।  अपनी अपनी जाती , वर्ग , वर्ण ,  संप्रदाय , भाषा , प्रान्त वाद में उलझे है और केवल ३ प्रतिशत विदेशी ब्राह्मण इनके छाती पर मुंग दल रहे है !

नेटिव रूल मूवमेंट में आवो तो कुछ हल निकले , वार्ना रोते रहो !

नेटिविस्ट डी डी राउत ,
अध्यक्ष ,
नेटिव रूल मूवमेंट
#नेटिविज़्म  

Tuesday, 12 February 2019

रात आंधळे !

रात आंधळे असे लोक असतात ज्यांना सूर्य मावळला कि काही दिसत नाही . तसेच काही समाजाचे असते . एकदा कर्तृत्ववान महापुरुष त्या समजातून निर्माण झाला असेल आणि त्याने आपले विचार त्याच्या अनेक पुस्तकात लिहले असतील , भाषणातून , सभेतून मांडले असतील , खूप मोठे कार्य केले असतील तर ती व्यक्ती त्या समाज साठी जणू सूर्य आहे असेच होते . हे स्वाभाविक आहे त्या महापुरुषाचे कार्य लोकोत्तर असेल तर त्याच्या मृत्यू नंतर त्या समाजात फार मोठी पोकळी निर्माण होते ,

क्षणो क्षणी त्या महापुरुषाने अमुक वेळी काय म्हटले ते त्याच्या लिहलेल्या  पुस्तकातून, लिखाणातून , भाषणातून उतारे देऊन सांगितले जाते पण हे जग , वेळ काळ बदलत असते त्या वेळी महापुरुषाने मांडले विचार जसेच्या तसेच तुमच्या समश्येवर लागू पडतील असे होत नाही तेव्हा या मध्ये गतिशीलता आणि समय   सूचकता  हे तंत्र वापरले नाही तर त्या समाजाची अवस्था  रात आंधळ्या व्यक्ती सारखी होते आणि मग आपण काय करावे हे सुचत नाही .

व्यक्ती च्या विचारात मरणोत्तर कोणालाही बदल करता येत नाही कारण ते विचार त्या व्यक्तीचे असतात मग ते राजकीय विचार असोत , सामाजिक विचार असोत कि धार्मिक , आर्थिक विचार असोत . मार्क्स चे विचार , त्याचे तत्व ज्ञान आत्ताच्या एकाद्या राजकीय पक्षाचे लोकसभेत बहुमत आहे म्हणून ते बहुमतांच्या आधारे बदलता ईयोल का ? नाही ते श्यक्य नाही , त्याचे तत्व ज्ञान घावे कि घेऊ नये ते तुम्ही ठरवू शकता पण त्याच्या तत्व ज्ञानात तुम्हाला एका शब्दाचा , काना , मात्र चा सुद्धा तुम्हाला बदल करता येत नाही त्या वेळी डोळस होऊन त्याच्या विचाराचे पलीकडे जाऊन आजच्या सामाजिक राजकीय स्थितीला आणि हव्या त्या परिवर्तन साठी कोणते नवीन विचार आहेत का हा शोध घ्यावाच लागतो . तेव्हा समाज रात आंधळा राहत नाही तर गतिशील होतो याचा अर्थ पूर्वी झालेले महापुरुष , विचार व्यर्थ होते , झाले असे होत नाही .

गांधीजी नि गांधी विचार दिला . अहिंसा , सत्याग्रह , ग्राम स्वराज , खादि  . स्वातंत्र्य साठी ते उपकारक ठरले पण ते इंग्रज विरुद्ध , विदेशी ब्राह्मण , विदेशी वैदिक ब्राह्मण धर्म या बद्दल काय ? म्हणून आज गांधी अप्रासंगिक झाले . मार्क्स सुद्धा वैदिक ब्राह्मण धर्म , वर्ण , जाती भेद , अस्पृश्यता आदी वर फार काही विचार देऊ शकले नाही . आंबेडकर विचार सुद्धा लोकांना शेवटी अश्या धर्मातून धर्म परिवर्तन करा असे सांगतात ज्या मध्ये मुळात वर्ण जाती , भेदाभेद नाही आणि ज्या विदेशी वैदिक ब्राह्मण धर्मात हे सर्व आहे त्यालाच हिंदू चा धर्म असे संबोधून त्यावरच हकनाक आरोप करतात आणि संविधानात जाती वर आधारित आरक्षणाचा विचार मांडतात ते सुद्धा विदेशी ब्राह्मण भागावो असे म्हणत नाही तेव्हा जगातले महान राजकीय , सामाजिक , धार्मिक विचारवंत मार्क्स, गांधी , आंबेडकर या देश्याच्या सर्वात मोठ्या  आजारावर औषध देऊ शकले नाही असे वाटते ! पण हे वास्तव जर मूळ  भारतीय  समाज मान्य करीत नसेल तर अश्या समाजाला रात आंधळे असे म्हणावे लागेल !

हे सर्व सूर्याच्या सावलीत सुखावले लोक सूर्य अस्त झाला तेव्हा रात आंधळे झालेले इथे तिथे चाचपळत दिसतात . नवीन विचार नेटीव्हीसम , नेटिव्ह हिंदुत्व त्यांना सहन होत नाही . मग या देशाचा गंभीर प्रश्न कसा सुटेल ? आरक्षण तर जाती वर्ण वेवस्था अधिक बळकट करीत आहे , जाती , वर्ण , ब्राह्मण धर्म , भेदभाव जाणार कसा ? ज्याचा गुन्हा नाही त्या हिंदू समजला , हिंदू धर्माला तुम्ही ठोकून काढता आहेत पण खरा गुन्हेगार विदेशी वैदिक धर्मी ब्राह्मण , ब्राह्मण धर्म वेगळा आहे असे सत्य मात्र नाकारता तेव्हा रात आंधळे रात आंधळेच राहणार यात संशय नाही !

नेटिविस्ट डी डी राऊत
अध्यक्ष ,
नेटिव्ह रुल मोव्हमेन्ट

Thursday, 7 February 2019

आरपीआय , बीएसपी , नेटिव पीपल्स पार्टी के
वैचारिक मत भिन्नता को समझे !

आरपीआइ स्थापना सन १९५६ , बीएसपी स्थापना सन १९८४ , नेटिव्ह पीपल्स पार्टी स्थापना सन १९९३ , भारिप स्तापना सन १९९९ आरपीआई विभाजन के बाद . बीएसपी , भारिप दोनो आरपीआय से निर्मित जिसकी विचारसरणी आंबेडकरवाद , फुले - आंबेडकर - शाहू - पेरियार वाद रहा है . आरपीआय के कूच धडे केवल बुद्ध - आंबेडकर के विचार माननेका आग्रह करते है ! अम्बेडकरी विचार में विदेशी ब्राह्मण भी उनके सभी काम में इनके साथ लिए जाते है। ब्रह्मिणवाद का विरोध करो , ब्राह्मण का नहीं यह इनका विचार रहा है।

बहिष्कृत समाज अर्थात सेदुलकास्ट से शुरू हुवा कार्य बाबासाहेब अम्बेडकरजी के महानिर्वाण तक १४-१५ प्रतिशत एस सी से बढ़कर ८५ प्रतिशत कांशीरामजी के फॉर्मूले से होता हुवा शतप्रतिशत अर्थात सर्वजन यानि विदेशी ब्राह्मण सह १०० प्रतिशत तक पहुंच गया है !
सामाजिक पिछड़ा पन से अब आर्थिक पिछड़ा पन को मानते हुवे वे अब सवर्ण गरीब आरक्षण १० प्रतिशत का समर्थन करते है।

आरपीआय के पहले डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर जो सामाजिक , राजकीय कार्य करते रहे है उसमे कुछ ब्राह्मण भी शामिल थे वही काम बीएसपी, भारिप , रिपब्लिकन गट कर रहा है जिसमे कुछ ब्राह्मण बीएसपी और अन्य में अपनी भुमिका निभा रहे है।

नेटिव्ह पीपल्स पार्टी का उदय नेटिव्ह रूल मूवमेंट के तहत हुवा है जिस की शुरवात नेटिविस्ट डी डी राउत ने सन १९७० से शुक्रवारी वार्ड , पौनी , जिल्हा भंडारा के बौद्धिक मंडल से की थी जिसका विचार है नेटिविज़्म नेटिव हिंदुत्व। मूल भारतीय विचार मंच , सत्य हिन्दू धर्म सभा आदि माध्यम से नेटिव रूल मूवमेंट नेटिविज़्म और नेटिव हिंदुत्व का प्रचार , प्रसार करता है और नेटिव पीपल्स पार्टी राजकीय पक्ष की भूमिका निभाता है , नेटिव रूल मूवमेंट पूरी तरह गैर ब्राह्मण मूवमेंट है जो विदेशी ब्राह्मण भारत छोडो कहता है। हिन्दू धर्म और ब्राह्मण धर्म को अलग अलग मानता है। केवल धर्मात्मा कबीर की वाणी बीजक हिन्दू धर्म का एकमात्र धर्म ग्रन्थ मानता है , हिन्दू वोही , जो ब्राह्मण नहीं , हिंदुत्व वही , जिसमे ब्राह्मण बिलकुल नहीं कहता है , जनेऊ छोडो , भारत जोड़ो कहता है , हम केवल ३ प्रतिशत विदेशी ब्रह्मिन मानते है और बाकी सभी गैर ब्राह्मण जो ९७ प्रतिशत है उन्हें नेटिव मानते है चाहे उनका धर्म हिन्दू , मुस्लिम , सिख , ईसाई , बौद्ध हो। , नमस्कार को अपना अभिवादन कहता है , जय हिन्द , जय भारत कहता है ! ब्राह्मण भगवो , आरक्षण हटावो कहता है !

नेटिविस्ट डी डी राउत
अध्यक्ष
नेटिव रूल मूवमेंट
#नेटिविज़्म